Jaishankar Prasad Ki Bhasha Shaili | 10 उदाहरण, वीडिओ, माइंड-मैप

जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली छायावादी हिन्दी, संस्कृतनिष्ठ शब्दावली और अलंकारिक बिंबों का संगम है।
वाक्य छोटे, लयबद्ध, संगीतात्मक; उदा. “मृदुल मंद मलय समीर”। नीचे १० कॉपी-पेस्ट उदाहरण, वीडिओ और माइंड-मैप दिए गए हैं।

जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली खड़ी बोली हिंदी, संस्कृतनिष्ठ शब्दावली और अलंकारिक बिंबों का संगम है। वाक्य छोटे, लयबद्ध, संगीतात्मक; उदा. “कोमल किरणों की किरण-कोमलता”। नीचे १० उदाहरण, वीडिओ और माइंड-मैप दिया गया है।

अनुक्रमणिका

  1. जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली क्या है?
  2. १० पंक्तियाँ – Copy-Paste Table
  3. छायावाद vs पूर्व-छायावाद भाषा
  4. ३० सेकेंड वीडिओ समझाइए
  5. इन्फोग्राफिक – माइंड-मैप
  6. अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली क्या है?

जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली खड़ी बोली हिन्दी, संस्कृतनिष्ठ शब्दावली और अलंकारिक बिंबों का संगम है। वाक्य छोटे, लयबद्ध, संगीतात्मक; उदा. “मृदुल मंद मलय समीर”। नीचे १० कॉपी-पेस्ट उदाहरण, वीडिओ और माइंड-मैप दिए गए हैं।

प्रसाद जी ने छायावाद को भाषिक सौंदर्य देने के लिए तीन चीज़ें मिलाईं:

विशेषताउदाहरण
संगीतात्मक लय“कोमल किरणों की किरण-कोमलता”
संस्कृतनिष्ठ शब्द“मन-मंदिर में दीप जलो”
अलंकारिक बिंब“जीवन-नदी की धारा”

१० पंक्तियाँ – Jaishankar Prasad Ki Bhasha Shaili Copy-Paste

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कोमल किरणों की किरण-कोमलता
komal kiroṅoṃ kī kiraṇ-komalatā
पुनरुक्ति-अलंकार
मृदुल मंद मलय समीर
mṛdul mand malay samīr
अनुप्रास + मधुर संयुक्ताक्षर
जीवन-नदी की धारा
jīvan-nadī kī dhārā
बिंबात्मकता (रूपक)
अमृत-घूँट सा मधुर वाक्
amṛt-ghūṅt sā madhur vāk
उपमा-अलंकार
शिखर पर सूर्य की किरणें सोने सी चमकती हैं
śikhar par sūrya kī kiraṇe sone sī camaktī ha͠i
रूपक + अतिशयोक्ति
मन-मंदिर में दीप जलो
man-mandir me͠n dīp jalo
संस्कृतनिष्ठ शब्द
विकल-विकल स्वर में वह बोला
vikal-vikal svar me͠n vah bolā
अनुप्रास + अर्ध-अनुप्रास
नव-नवीन नव्या उमंगों की लहर
nav-navīn navya umaṅgo͠n kī lahar
पुनरुक्ति-प्रदीपन
शांत, सुंदर, सुगंधित सन्ध्या
śānt, sundar, sugandhit sandhyā
त्रिपदी अनुप्रास
अश्रु-धारा प्रवाहित हो उठी
aśru-dhārā pravāhit ho uṭhī
अतिशयोक्ति-अलंकार

आप यह भी पढ़ सकते हैं: जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय

छायावाद vs पूर्व-छायावाद भाषा – क्या फर्क है?

जयशंकर प्रसाद ने छायावादी युग में लिखा, इसलिए उनकी भाषा में रोमानी भाव, प्रकृति-बिंब और लयबद्ध वाक्य दिखते हैं; जबकि पूर्व-छायावाद (भक्ति/रीति) में ब्रजभाषा, देशी शब्द और धर्म-कथाएँ प्रधान थीं। नीचे एक नज़र में अंतर:

बिंदूछायावाद (प्रसाद)पूर्व-छायावाद (रीति-काल)
मुख्य भाषाखड़ी बोली हिन्दीब्रजभाषा / अवधी
शब्द स्रोतसंस्कृत + प्रचलित हिन्दीदेशी, अरबी-फारसी मिश्रित
वाक्य लयलयबद्ध, संगीतात्मकपद्यात्मक, लोकगीत शैली
मुख्य भावप्रकृति, प्रेम, दर्शनभक्ति, रीति, नीति

टेक-अवे: प्रसाद जी ने ब्रजभाषा को त्याग कर खड़ी बोली को साहित्यिक दर्जा दिया; इसीलिए उनकी भाषा आज भी विद्यार्थियों को आसानी से समझ में आती है।

Jaishankar Prasad Ki Bhasha Shaili mind map

जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली – माइंड-मैप

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FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

Q1. “जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली” क्या है?

A1. खड़ी बोली हिन्दी + संस्कृतनिष्ठ शब्द + अलंकारिक बिंब; वाक्य छोटे, लयबद्ध, उदा. “मृदुल मंद मलय समीर”।

Q2. उनकी भाषा में प्रमुख अलंकार कौन-से हैं?

A2. अनुप्रास, रूपक, उपमा, पुनरुक्ति, अतिशयोक्ति – देखें ऊपर १० उदाहरण टेबल।

Q3. छायावाद vs पूर्व-छायावाद भाषा – फर्क?

A3. छायावाद: खड़ी बोली, प्रकृति-प्रेम; पूर्व: ब्रजभाषा, भक्ति-नीति।

Q4. कौन-सा शब्द संस्कृतनिष्ठ है – “मन-मंदिर” या “दिल”?

A4. “मन-मंदिर” – संस्कृत मूल, प्रसाद-शैली का हॉलमार्क।

Q5. क्या मैं ये पंक्तियाँ कॉपी कर सकता हूँ?

A5. हाँ! ऊपर दिए गए “Copy” बटन से सीधे क्लिपबोर्ड पर लें और पेस्ट करें।

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