भाववाचक संज्ञा के 100+ उदाहरण (Bhav vachak Sangya ke Udaharan)

भाववाचक संज्ञा के उदाहरण (bhavvachak sangya ke udaharan) हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है जो सभी बोर्ड परीक्षाओं और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अति आवश्यक है। इस लेख में आपको भाववाचक संज्ञा की सरल परिभाषा, पहचानने के नियम और 100 से अधिक उदाहरण एक सुव्यवस्थित तालिका में मिलेंगे। साथ ही आप एक निःशुल्क PDF भी डाउनलोड कर सकते हैं।

भाववाचक संज्ञा वे शब्द हैं जो किसी भाव, गुण, दशा, अवस्था या विचार का बोध कराते हैं; जैसे – प्यार, दुःख, बुढ़ापा, मिठास, बचपन।

भाववाचक संज्ञा उदाहरण तालिका

भाववाचक संज्ञा के 100+ उदाहरण (bhavvachak sangya ke udaharan)

नीचे दी गई तालिका में भाववाचक संज्ञा के 100 से अधिक उदाहरण दिए गए हैं। ये उदाहरण आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे।

क्रमांकभाववाचक शब्दउदाहरण वाक्य
1प्यारमाँ का प्यार अनमोल होता है।
2दुःखउसकी आँखों में दुःख था।
3आश्चर्यउसके अचानक आने से सबको आश्चर्य हुआ।
4शोकपिता जी के जाने का शोक सभी को है।
5उत्साहखेलने का उत्साह बच्चों में देखते ही बनता है।
6सुन्दरताफूल की सुन्दरता देखते ही बनती है।
7मिठासगुड़ की मिठास अलग ही होती है।
8कड़वाहटनीम में कड़वाहट होती है।
9खटासनींबू के रस में खटास होती है।
10चतुराईलोमड़ी की चतुराई प्रसिद्ध है।
11बुराईबुराई करने से बचना चाहिए।
12भलाईदूसरों की भलाई करनी चाहिए।
13मित्रतासच्ची मित्रता हमेशा काम आती है।
14शत्रुताशत्रुता से कुछ हासिल नहीं होता।
15ईमानदारीईमानदारी सबसे अच्छी नीति है।
16बेईमानीबेईमानी से धन कमाना ठीक नहीं है।
17सफलतामेहनत से सफलता मिलती है।
18विफलताविफलता से सीख लेनी चाहिए।
19समृद्धिदेश की समृद्धि सभी का लक्ष्य है।
20गरीबीगरीबी एक अभिशाप है।
21स्वतंत्रताहमें अपनी स्वतंत्रता प्यारी है।
22गुलामीगुलामी का जीवन कठिन होता है।
23शांतिशांति से रहना अच्छा लगता है।
24अशांतिअशांति से देश का विकास रुकता है।
25साहससिपाही में बहुत साहस होता है।
26कायरताकायरता छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।
27दयालुतादयालुता मनुष्य का गुण है।
28निर्दयतानिर्दयता देखकर दुःख होता है।
29उदारताउदारता से दान देना चाहिए।
30संकीर्णतासंकीर्णता छोड़नी चाहिए।
31विशालतासमुद्र की विशालता देखने लायक है।
32छोटापनछोटापन दिखाना अच्छा नहीं है।
33गहराईसमुद्र की गहराई अधिक है।
34ऊँचाईपहाड़ की ऊँचाई बहुत ज्यादा है।
35लम्बाईउसकी लम्बाई अधिक है।
36चौड़ाईमैदान की चौड़ाई कम है।
37मोटापनमोटापन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
38पतलापनपतलापन दिखाने की जरूरत नहीं है।
39गर्मीगर्मी में पंखा चलाना पड़ता है।
40सर्दीसर्दी में कंबल ओढ़ना अच्छा लगता है।
41नमीहवा में नमी है।
42सूखासूखा पड़ने से फसल नष्ट हो गई।
43तेजस्वितासूर्य की तेजस्विता प्रखर है।
44मंदताकाम में मंदता ठीक नहीं है।
45चमकसोने की चमक तेज होती है।
46धुँधलापनकोहरे के कारण धुँधलापन है।
47स्पष्टताउसके विचारों में स्पष्टता है।
48अस्पष्टताअस्पष्टता से बचना चाहिए।
49शुद्धतापानी की शुद्धता जांचनी चाहिए।
50अशुद्धताअशुद्धता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
51महकफूलों की महक सुगंधित है।
52बदबूकूड़े से बदबू आ रही है।
53कोमलताफूल की पंखुड़ियों में कोमलता है।
54कठोरतापत्थर में कठोरता होती है।
55चिकनाहटतेल में चिकनाहट होती है।
56खुरदरापनदीवार में खुरदरापन है।
57भारीपनबक्से में भारीपन है।
58हल्कापनपंख में हल्कापन होता है।
59ताजगीसुबह की हवा में ताजगी है।
60थकानकाम के बाद थकान होती है।
61तरोताजगीनहाने के बाद तरोताजगी मिलती है।
62स्फूर्तिव्यायाम से स्फूर्ति आती है।
63सुस्तीसुस्ती छोड़कर काम करना चाहिए।
64चुस्तीचुस्ती से काम करने पर सफलता मिलती है।
65फुर्तीबंदर में बहुत फुर्ती होती है।
66आलस्यआलस्य मनुष्य का शत्रु है।
67परिश्रमपरिश्रम से सब कुछ मिलता है।
68आरामकाम के बाद आराम करना चाहिए।
69बेचैनीबेचैनी होने पर नींद नहीं आती।
70शांतताशांतता से काम लेना चाहिए।
71घबराहटअचानक खबर सुनकर घबराहट हुई।
72डरअंधेरे में डर लगता है।
73निर्भयतासिपाही में निर्भयता होती है।
74हिम्मतहिम्मत से काम लेना चाहिए।
75निराशानिराशा छोड़कर आगे बढ़ना चाहिए।
76आशाआशा रखने से काम बनता है।
77निर्धनतानिर्धनता दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
78धनिकताधनिकता दिखाना ठीक नहीं है।
79सज्जनतासज्जनता मनुष्य का गुण है।
80दुर्जनतादुर्जनता से बचना चाहिए।
81विनम्रताविनम्रता से बात करनी चाहिए।
82अभिमानअभिमान करना ठीक नहीं है।
83विवेकविवेक से काम लेना चाहिए।
84अविवेकअविवेक से अनर्थ होता है।
85ज्ञानज्ञान प्राप्त करना चाहिए।
86अज्ञानअज्ञान अंधकार है।
87बुद्धिमत्ताबुद्धिमत्ता से काम लेना चाहिए।
88मूर्खतामूर्खता करने से बचना चाहिए।
89चिंताचिंता करने से बीमारी होती है।
90निश्चिंततानिश्चिंतता से रहना चाहिए।
91उमंगत्योहारों में उमंग होती है।
92निरुत्साहनिरुत्साह होने पर काम नहीं बनता।
93लगनलगन से पढ़ाई करनी चाहिए।
94बेगारीबेगारी छोड़कर मेहनत करनी चाहिए।
95मस्तीबचपन में मस्ती होती है।
96बुढ़ापाबुढ़ापा जीवन का अंतिम पड़ाव है।
97जवानीजवानी में शक्ति अधिक होती है।
98बचपनबचपन के दिन यादगार होते हैं।
99यौवनयौवन ऊर्जा से भरा होता है।
100मृत्युमृत्यु जीवन की सच्चाई है।
101फोन-एडिक्शनआजकल युवाओं में फोन-एडिक्शन एक समस्या है।
102नेट-स्पीडनेट-स्पीड कम होने पर काम रुक जाता है।
103वर्क-फ्रॉम-होमवर्क-फ्रॉम-होम ने जीवनशैली बदल दी है।
104ऑनलाइन-बोरियतलगातार मीटिंग्स से ऑनलाइन-बोरियत होने लगती है।
105रीएक्शनउसके पोस्ट पर अच्छा रीएक्शन मिला।
106वायरल-फेमवायरल-फेम अचानक मिल जाता है।
107स्क्रीन-टाइमबच्चों का स्क्रीन-टाइम सीमित करना चाहिए।
108डिजिटल-डिटॉक्सडिजिटल-डिटॉक्स करना जरूरी हो गया है।
109फोमोसोशल मीडिया के कारण फोमो की भावना पैदा होती है।
110वेबिनार-थकानलगातार वेबिनार से वेबिनार-थकान हो गई है।

भाववाचक संज्ञा की परिभाषा (Bhav vachak Sangya ki Paribhasha)

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भाववाचक संज्ञा उस संज्ञा शब्द को कहते हैं जो किसी पदार्थ का बोध न कराकर उसके गुण, दोष, भाव, दशा, अवस्था, स्वभाव या किसी विचार का बोध कराती है। सरल शब्दों में, जो शब्द किसी भावना या अनुभूति का नाम होता है, वह भाववाचक संज्ञा कहलाता है। जैसे – मिठास (गुण), बुराई (दोष), बचपन (अवस्था)। यह समूहवाचक संज्ञा से भिन्न होती है क्योंकि यह किसी व्यक्ति या वस्तु के समूह का नहीं, बल्कि भाव का बोध कराती है।

भाववाचक संज्ञा के प्रकार (Bhav vachak Sangya ke Prakar)

भाववाचक संज्ञा के मुख्य रूप से दो प्रकार माने जाते हैं:

  1. समुदायवाचक भाववाचक संज्ञा: ये वे शब्द हैं जो किसी समुदाय या वर्ग के सामान्य भाव, गुण या दशा का बोध कराते हैं। जैसे – मानवता, भलाई, भाईचारा।
  2. द्रव्यवाचक भाववाचक संज्ञा: ये वे शब्द हैं जो किसी द्रव्य (पदार्थ) के गुण या भाव का बोध कराते हैं। जैसे – मिठास (चीनी का गुण), चिकनाहट (तेल का गुण), कठोरता (पत्थर का गुण)।

भाववाचक संज्ञा बनाने के नियम (Bhav vachak Sangya ke Niyam)

भाववाचक संज्ञा बनाने के लिए जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया या अव्यय में विभिन्न प्रत्यय जोड़े जाते हैं। याद रखने की ट्रिक: “ता-पन-आस-त्व देखो, भाववाचक बन गया शब्द!”

मुख्य प्रत्यय और उदाहरण:
ता (बूढ़ा – बुढ़ापा), पन (लड़का – लड़कपन), आस (भला – भलाई), अ (घबरा – घबराहट), ई (मीठा – मिठाई), त्व (मनुष्य – मनुष्यत्व), हट (चालाक – चालाकी), य (क्षत्रिय – क्षत्रियता), वट (डर – डरावट)।

1. जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनाना:

जातिवाचक संज्ञाभाववाचक संज्ञा
मित्रमित्रता
बच्चाबचपन
देवदेवत्व
नौकरनौकरी
शत्रुशत्रुता

2. विशेषण से भाववाचक संज्ञा बनाना:

विशेषणभाववाचक संज्ञा
मीठामिठास
गर्मगर्मी
सुन्दरसुन्दरता
चतुरचतुराई
ऊँचाऊँचाई

3. क्रिया से भाववाचक संज्ञा बनाना:

क्रियाभाववाचक संज्ञा
लड़नालड़ाई
कमानाकमाई
बोलनाबोली
पढ़नापढ़ाई
सजनासजावट

4. अव्यय से भाववाचक संज्ञा बनाना:

अव्ययभाववाचक संज्ञा
निकटनिकटता
धीरेधीरज
आजआजत्व
कलकलियुग
पासपासंग
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भाववाचक संज्ञा पहचानने की 5 आसान ट्रिक्स (HowTo)

  1. शब्द किसी भाव, गुण, दशा या अवस्था का नाम है?
  2. क्या आप उस शब्द को छू या देख सकते हैं? → नहीं → भाववाचक
  3. अंत में -ता, -पन, -आस, -त्व, -हट जैसे प्रत्यय हैं?
  4. मूल शब्द जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया या अव्यय है?
  5. वाक्य में प्रयोग करें – भाव का बोध हो तो भाववाचक संज्ञा

यदि उपरोक्त चरणों के अधिकांश उत्तर “हाँ” हैं, तो वह शब्द भाववाचक संज्ञा है।

भाववाचक संज्ञा से सम्बंधित प्रश्न (FAQs)

Q1. भाववाचक संज्ञा किसे कहते हैं?

भाववाचक संज्ञा वे शब्द हैं जो किसी भाव, गुण, दशा, अवस्था या विचार का बोध कराते हैं। ये किसी व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध नहीं कराते। इन्हें हम केवल महसूस कर सकते हैं, देख या छू नहीं सकते। जैसे – प्रेम, ईमानदारी, बचपन, मोटापा, गर्मी आदि।

Q2. भाववाचक संज्ञा के 10 उदाहरण क्या हैं?

भाववाचक संज्ञा के 10 सामान्य उदाहरण हैं: 1. प्यार, 2. दुःख, 3. बुढ़ापा, 4. मिठास, 5. बचपन, 6. सुन्दरता, 7. बुराई, 8. मित्रता, 9. ईमानदारी, 10. लम्बाई। ये सभी शब्द किसी न किसी भाव, गुण या अवस्था का बोध कराते हैं।

Q3. क्या सभी भाववाचक संज्ञाएँ अमूर्त होती हैं?

हाँ, भाववाचक संज्ञाएँ सदैव अमूर्त (Abstract) होती हैं क्योंकि ये भावनाओं, गुणों और अवस्थाओं के नाम हैं। इन्हें हम अपनी इंद्रियों से देख, सुन, छू, सूँघ या चख नहीं सकते, केवल महसूस कर सकते हैं। जैसे हम ‘गर्मी’ को महसूस कर सकते हैं लेकिन उसे हाथ में नहीं ले सकते।

Q4. भाववाचक संज्ञा की पहचान कैसे करें?

भाववाचक संज्ञा की पहचान करने का सबसे आसान तरीका है कि आप देखें कि क्या वह शब्द किसी भाव, गुण, दशा या अवस्था का नाम है। साथ ही, अक्सर इनके अंत में ‘ता’, ‘पन’, ‘आस’, ‘ई’, ‘त्व’, ‘हट’ आदि प्रत्यय लगे होते हैं। जैसे – मिठास, बचपन, भलाई, चतुराई, मनुष्यत्व, चालाकी।

भाववाचक संज्ञा और गुणवाचक विशेषण में क्या अंतर है?

भाववाचक संज्ञा किसी गुण का नाम होती है जबकि गुणवाचक विशेषण किसी संज्ञा के गुण को बताता है। जैसे ‘मिठास’ एक भाववाचक संज्ञा है जो एक गुण का नाम है। वहीं ‘मीठा’ एक विशेषण है जो किसी संज्ञा (जैसे फल) के गुण को बताता है, जैसे ‘मीठा फल’।

निष्कर्ष (Conclusion)

उम्मीद है इस लेख में दिए गए bhavvachak sangya ke udaharan और नियम आपकी हिंदी व्याकरण की समझ को मजबूत करने में सहायक होंगे। भाववाचक संज्ञा की पहचान करना सीखने के बाद आप इसे आसानी से पहचान पाएंगे। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगा हो तो इसे अपने मित्रों के साथ अवश्य साझा करें। इसी प्रकार समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण के बारे में जानने के लिए हमारा दूसरा लेख पढ़ें। संज्ञा के प्रकार को और बेहतर तरीके से समझने के लिए हमारे ब्लॉग पर बने रहें। आपके सुझाव और प्रश्न कमेंट बॉक्स में स्वागतयोग्य हैं। धन्यवाद।

Pooja Singh writes for desidose.in, moving easily between lifestyle, sport, travel and whatever is trending that day. She turns the week’s noise into clear, lively stories you actually want to read.